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आदर्श शिक्षक व आदर्श विद्यार्थी की योग्यताएँ (गुण)

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आदर्श शिक्षक व आदर्श विद्यार्थी की योग्यताएँ (गुण)  आदर्श विद्यार्थी की योग्यताएँ - वेदों में कहा गया है-     “तद्विद्द्यी प्राणिपातेना परिप्रश्नेन सेवायाः” अर्थात्     आदर्श विद्यार्थी की तीन योग्यताएँ होती हैं- 1.     प्राणिपात 2.     परिप्रश्न 3.   सेवायाः ·        प्राणिपात - आदर्श विद्यार्थी की पहली विशेषता होती है समर्पण और दिमाग का खुलापन। एक विद्यार्थी को अपनी पढ़ाई के प्रति पूर्णरूपेण समर्पित रहना चाहिए। साथ ही शिक्षण-अधिगम (अध्ययन-अध्यापन) के समय अपने दिमाग को खुला रखना चाहिए। अपना पूरा ध्यान अपने अध्ययन विषय पर ही होना चाहिए। ·        परिप्रश्न - आदर्श विद्यार्थी की दूसरी योग्यता है- अपने शिक्षक के ज्यादा से ज्यादा प्रश्न पूछना। किसी विषय से संबन्धित प्रश्न पूछना तभी संभव हो सकता है जब उस उस विद्यार्थी का ध्यान अध्ययन विषय पर ही हो। ·        सेवा - एक विद्यार्थी को अपने शिक्षक , संगठन या संस्थ...

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कुछ सुधारों की प्रमुख आवश्यकता

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भारतीय शिक्षा प्रणाली में कुछ सुधारों की प्रमुख आवश्यकता सबसे पहले हम भाषा विषयों ( Language Subjects ) की बात करते हैं। हमारी शिक्षा प्रणाली के तहत भाषा विषयों में हिन्दी , अंग्रेजी , संस्कृत आदि विषय पढ़ाये जाते हैं।  इन विषयों में हमें भाषा से संबन्धित प्रमुख कवियों की कविताएँ , लेखकों की कहानियाँ तथा भाषा व्याकरण पढ़ाई जाती हैं।  इन सभी विषयों में हमें सैद्धान्तिक ज्ञान ही दिया जाता है जबकि हमें जरूरत होती है व्यावहारिक ज्ञान की। हमारे घर-परिवार , समाज , राज्य , और पूरे देश (दक्षिण भारत के कुछ राज्यों को छोडकर) में हिन्दी भाषा व्यावहारिक तौर पर व्यापक रूप से उपयोग  में लायी जाती हैं। इसलिए हमें हिन्दी आसान लगती हैं। अब हम अंतर्राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी की बात करते हैं। हमारे देश में हरेक स्कूल में अंग्रेजी विषय पढ़ाया जाता हैं। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बावजूद भी हमें अंग्रेजी बोलने में समस्याएँ आती हैं। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि हमें विद्यालय स्तर पर अंग्रेजी सिर्फ और सिर्फ उस विद्यालय में उत्तीर्ण होने के लिए सैद्धांतिक तौर पर ही पढ़ाई जाती है। इसलि...