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जानिए अपने देश की शिक्षक प्रशिक्षण प्रणाली

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जानिए अपने देश की शिक्षक प्रशिक्षण प्रणाली

हमारे देश में शिक्षक बनने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (Teacher Training Program) जैसे- BSTC, B.Ed., B.P.Ed., B.A.Ed. आदि कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।

Teacher Education System in India

इन सभी कार्यक्रमों के संचालन
, नियमन, नियंत्रण व नीति निर्माण के लिए एक संस्था गठित की हुई है, जो कि NCTE (National Council of Teacher Education/ राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद) के नाम से जानी जाती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में एनसीटीई से मान्यता प्राप्त लगभग 17000 शिक्षक शिक्षा संस्थान (Teacher’s Education Institutes- TEIs) संचालित हो रहे हैं, जो कि D.El.ED. (Diploma in Elementary Education) और B.Ed. (Bachelor of Education) जैसे कार्यक्रमों का संचालन कर रहे हैं।
इन 17000 कॉलेजों से प्रतिवर्ष 19 लाख फ्रेश प्रशिक्षित शिक्षक तैयार होते हैं। लेकिन, हमारी शिक्षा व्यवस्था के संचालन में केवल प्रतिवर्ष 3 लाख नए शिक्षकों की जरूरत पड़ती है। फिर भी हमारे देश की सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली है।
देश को प्रतिवर्ष 19 लाख नए प्रशिक्षित शिक्षक मिलने के बावजूद भी हमारी सरकार नव सृजित 3 लाख पदों को नहीं भर पा रही है। साथ ही निरंतर प्रशिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी बढ़ रही है।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार  हाल ही के कुछ वर्षों में CTET यानि Central Teacher Eligibility Test (केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा), जो कि केन्द्रीय शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए एक पात्रता परीक्षा है, की परीक्षा में भाग लेने वाले कुल अभ्यर्थियों में से 25% ही इस परीक्षा को पास कर सकते है।आपके अनुसार इसका क्या कारण हो सकता है?
मुझे इसके पीछे प्रशिक्षण कार्यक्रम में कमियाँ नज़र आ रही है। इसके नियोजन, नियमन, नीति निर्माण व संगठनात्मक संरचना में कमी नजर आ रही है, जिसके लिए एक ही संस्थान एनसीटीई उत्तरदायी है।
एनसीटीई को इन कारकों पर ध्यान देते हुए शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार लाना चाहिए।
आजकल एनसीटीई से मान्यता प्राप्त कई कॉलेज प्रशिक्षणार्थियों को कॉलेज न आने की सलाह देकर, 75% उपस्थिति पूरी नहीं करने पर परीक्षा से वंचित होने का पहले से डर दिखाकर या समय पर क्लास नहीं लगाकर उनका समय बर्बाद करके डोनेशन (Donation) के रूप में उनसे भारी राशि वसूलते है।
नव प्रवेशित प्रशिक्षणार्थियों को पूरे नियम भी पता नहीं होते है,इस तरह शिक्षा क्षेत्र व्यवसाय का माध्यम और भ्रष्टाचार का वाहक बन चुका है।


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आज के समय में इंसान की मूलभूत आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान के बाद चौथी मूलभूत आवश्यकता है शिक्षा (Education)। यदि शिक्षा क्षेत्र भ्रष्टाचार से यूं ही लिप्त रहा तो निम्न वर्ग के लिए उच्च शिक्षा पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन भी हो जाएगा, वह उच्च शिक्षा की कल्पना भी नहीं कर पाएगा।

पूरे देश में सबसे ज्यादा TEIs उत्तरप्रदेश राज्य में संचालित हो रहे हैं, जो कि देश के कुल TEIs के एक तिहाई है। इसके बाद सर्वाधिक TEIs राजस्थान राज्य में स्थापित है। इन संस्थानों में से ज़्यादातर संस्थान शिक्षक प्रशिक्षण के नाम पर एक छोटे से दुकान रूपी ढाबे में ले बैठे है।

जब तक शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार नहीं होता, तब तक अपने देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना नामुमकिन है। शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता, शिक्षक की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।
अर्थात-

"The quality of Education system is directly proportional to the quality of Teacher Education."


कैसे हो सुधार ?

1.पूरे देश में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों से संबन्धित आंकड़ों का संग्रहण किया जाये, तथा उनका विश्लेषण कर नयी योजनाएँ तैयार की जाये।
2.शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में कुछ इस प्रकार बदलाव किया जाये कि वह वैश्विक स्तर पर मान्य एवं गुणात्मक हो।
3.TEIs में सरकारी संस्थानों की भागीदारी बढ़ाई जाये तथा इसके विपरीत निजी संस्थानों की संख्या घटाई जाये या स्थिर रखी जाये।
4.एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 70 देश ऐसे है, जहां शिक्षकों की भारी कमी (Shortage) है, हमारी सरकार को उन देशों की सरकार के साथ मिलकर रोजगार की नयी दिशा में कदम उठाना चाहिए।

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